मराठा आरक्षण मांग को लेकर मनोज जरांगे-पाटील का मुंबई में अनिश्चितकालीन अनशन

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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण मुद्दा एक बार फिर तूल पकड़ गया है। मराठा नेता मनोज जरांगे-पाटील ने मुंबई के आज़ाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की है और मराठा समुदाय के लिए ओबीसी कोटे की मांग कर रहे हैं। यह आंदोलन गणेशोत्सव के दौरान शुरू हुआ है जो इसकी राजनीतिक संवेदनशीलता को और बढ़ा देता है।

जरांगे-पाटील ने दो साल बाद पहली बार मुंबई में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया है, जिसके लिए उन्हें आज़ाद मैदान में केवल एक दिन के धरने की अनुमति मिली थी। इसके बावजूद उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखा है और “गोलियों का सामना करने और जेल जाने के लिए तैयार” होने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि वे तब तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती।

अपनी भूख हड़ताल के तीसरे दिन जरांगे-पाटील ने घोषणा की है कि वे सोमवार से पानी पीना भी बंद कर देंगे, जिससे उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ गई है। उनकी यह कार्रवाई ओबीसी कोटे में शामिल करने की अपनी मांग को तेज़ करने का एक तरीका है।

वर्तमान में जरांगे-पाटील कुल ओबीसी आवंटन से 10 प्रतिशत अलग कोटा की मांग कर रहे हैं, न कि एक अलग कोटे की। उनकी मांग यह है कि मराठा समुदाय को संवैधानिक रूप से वैध आरक्षण दिया जाए। पिछले साल 2023 में कुणबी पहचान के आधार पर 8 लाख से अधिक ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किए गए थे, लेकिन अभी भी यह मुद्दा अधूरा है।

इस आंदोलन के कारण महाराष्ट्र की राजनीति में भी हलचल मच गई है। महायुति और महाविकास आघाडी के बीच राजनीतिक दोषारोपण तेज़ हो गया है। दोनों ही राजनीतिक गुट मराठा समुदाय के वोट बैंक को प्रभावित करने वाले इस मुद्दे पर अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।

जरांगे-पाटील ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बंबई हाईकोर्ट से मराठा कोटे पर न्याय की अपील की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि “चाहे सरकार अनुमति दे या न दे, विरोध प्रदर्शन होगा”। यह दिखाता है कि वे अपनी मांग को लेकर कितने दृढ़संकल्पित हैं।

इस आंदोलन के कारण मुंबई भर में यातायात भी बाधित हुआ है, जिससे आम जनता को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, ओबीसी समूह भी इसके विरोध में प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं, जिससे स्थिति और भी जटिल हो सकती है।

जरांगे-पाटील ने इसे अपनी “अंतिम लड़ाई” बताया है और कहा है कि इस बार वे पीछे नहीं हटेंगे। मराठा समुदाय के आरक्षण का यह मुद्दा महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है और अब यह एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।

यह स्थिति न केवल मराठा समुदाय के लिए बल्कि पूरे महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। सरकार और जरांगे-पाटील के बीच बातचीत की संभावना पर सभी की नज़र टिकी हुई है।

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